Urdu Shayari on Love in Hindi | उर्दू लव शायरी इन हिंदी

By Shayari Mirchi

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Urdu Shayari on Love in Hindi

कौन कहता है हम उसके बिना मर जायेंगे
हम तो दरिया है समंदर में उतर जायेंगे
वो तरस जायेंगे प्यार की एक बून्द के लिए, हम तो बादल है प्यार के…किसी और पर बरस जायेंगे

 

ना हम कुछ कह पाते हे, ना वोह कुछ कह पाते हे,
एक दूसरे को देखकर गुजर जाया करते हे, कब तक चलता रहेंगा ये सिलसिला,
ये सोचकर दिन गुजर जाया करते हे।

 

मंज़िलो से अपनी डर ना जाना,
रास्ते की परेशानियों से टूट ना जाना,

जब भी ज़रूरत हो ज़िंदगी मे किसी अपने की,
हम आपके अपने है ये भूल ना जाना.

 

आप को इस दिल में उतार लेने को जी चाहता है,
खूबसूरत से फूलो में डूब जाने को जी चाहता है,
आपका साथ पाकर हम भूल गए सब मैखाने,
क्योकि उन मैखानो में भी आपका ही चेहरा नज़र
आता है….

 

आँखों मे आ जाते है आँसू,
फिर भी लबो पे हसी रखनी पड़ती है,
ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो,
जिस से करते है उसीसे छुपानी पड़ती है…

 

Urdu Shayari For Love Hindi

मेरी दिल की धड़कन और सदा तुहीं है,
मेरी पहली और आखिरी वफ़ा तुहीं है,
चाहा है तुझे चाहत से भी बढ़ कर मैंने,
मेरी चाहत और चाहत की इंतिहा है तुहीं है।

 

दिल से दिल मिले होते
तो हमारे भी सपने पुरे हो जाते ,
फूल काँटों पे नहीं खिले होते,
तो फूल तो कोई भी बन जाते, अगर कांटे नहीं होते!

 

तुम्हे देखा तुम्हे चाहा तुम्ही को दिल भी दे डाला
अब अरमान है इतना कि तुम मेरे सामने आओ
कुछ तुम कहो कुछ हम कहे इकरार हो जाए
मिट जाए सारी दूरियां और प्यार हो जाए…

 

गमो मे हँसने वालो को भुलाया नही जाता,
पानी को लहरो से हटाया नही जाता,
बनने वाले बन जाते है,
अपने कहकर किसी को अपना बनाया नही जाता ।

 

दिल के सागर मे लहरे उठाया ना करो,
ख्वाब बनकर नींद चुराया ना करो,
बहुत चोट लगती है मेरे दिल को,
तुम ख्वाबो में आ कर यू तडपाया ना करो….

 

जब खामोश आँखो से बात होती है
ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है
तुम्हारे ही ख़यालो में खोए रहते हैं
पता नही कब दिन और कब रात होती है..

 

नज़रे करम मुझ पर इतना न कर,
की तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं,
मुझे इतना न पिला इश्क़-ए-जाम की,
मैं इश्क़ के जहर का आदि हो जाऊं।

 

मेरी दिल की धड़कन और सदा तुहीं है,
मेरी पहली और आखिरी वफ़ा तुहीं है,
चाहा है तुझे चाहत से भी बढ़ कर मैंने,
मेरी चाहत और चाहत की इंतिहा है तुहीं है।

 

मेरे वजूद मे काश तू उतार जाए
मे देखु आईना ओर तू नज़र आए,
तू हो सामने और वक़्त ठहर जाए,
ये ज़िंदगी तुझे यू ही देखते हुए गुज़र जाए..

इक टीस कलेजे को मसलती ही रही
इक सोत ख़यालों में उबलती ही रही
तारीक रहा जादा-ए-हस्ती लेकिन
इक शम्अ मिरे सीने में जलती ही रही.

 

उस ज़ुल्फ़ की तौसीफ़ बताई नहीं जाती
इक लम्बी कहानी है सुनाई नहीं जाती
दिल है कि मरा जाता है दीदार की ख़ातिर
हम हैं कि उधर आँख उठाई नहीं जाती.

 

किसी की यादें मिरी चश्म-ए-तर में रहती हैं
ये कश्तियाँ हैं कुछ ऐसी भँवर में रहती हैं
ज़माना हो गया नींदें नहीं नसीब हुईं
हमारी ख़्वाहिशें ज़ेहनी सफ़र में रहती हैं.

 

जादू उसे आता है ये मा’लूम है सब को
जादू से किसी शय को वो दरहम न करेगा
अब शैख़ से उम्मीद मुरव्वत की न रखना
नज़राना नहीं दोगे तो वो दम न करेगा.

 

खड़े-खड़े साहिल पर हमने शाम कर दी,
अपना दिल और दुनिया आप के नाम कर दी,
ये भी न सोचा कैसे गुज़रेगी ज़िंदगी,
बिना सोचे-समझे हर ख़ुशी आपके नाम कर दी।

 

करूँ न याद मगर किस तरह भुलाऊँ उसे
ग़ज़ल बहाना करूँ और गुनगुनाऊँ उसे
वो ख़ार ख़ार है शाख़-ए-गुलाब की मानिंद
मैं ज़ख़्म ज़ख़्म हूँ फिर भी गले लगाऊँ उसे.

होठो से लफ़्ज़ ज़हन से तस्व्वुर छीन ले
मुझ से मेरे यार तू इज़हार छीन ले
ज़िंदगी बर्बाद हो गई हैं मोहब्बत में मेरी
आगे बढ़कर तू ज़ुबा से इक़रार छीन ले.

यार उसका सलाम आ गया तो क्या होगा
यार उसका पयाम आ गया तो क्या होगा
शहर वाले पूछेगे तो मैं क्या जवाब दूगा
यार उसका नाम आ गया तो क्या होगा.

 

हरगिज़ नहीं जीने से दिल-ए-ज़ार ख़फ़ा
सीने में मचलती है तमन्ना-ए-वफ़ा
चलते रहे लेकिन न हुए ख़ाक अब तक
इक ढोंग है ऐ चर्ख़ तिरी सई-ए-जफ़ा.

 

कुछ यूँ तुम मेरी मोहब्बत का आगाज़ कर दो,
मेरी ज़िन्दगी में प्यार का एक एहसास भर दो,
छुप-छुप के यूँ न देखा करो दूर से हमें,
गुजरो करीब से और नजर-अंदाज़ कर दो।

 

हम तो तेरी आवाज़ से प्यार करते हैं,
तस्सवुर में तेरे तन्हाइयों से प्यार करते हैं,
जो मेरे नाम से तेरे नाम को जोड़े ज़माने वाले,
उन चर्चों से अब हम प्यार करते हैं।

 

ऐ बख़्त! मज़े कुछ तो उठाऊँ मैं भी
लज़्ज़त जो मिटाने में है पाऊँ मैं भी
कुछ तू ने मिलाया मुझे ख़ाक-ओ-ख़ूँ में
कुछ ख़ाक में अब ख़ुद को मिलाऊँ मैं भी.

 

तू हक़ीक़त को समझता है तिलिस्मी तस्वीर
तेरे नज़दीक ये एहसास की रानाई है.
तू ये कहता है मिरे दिल में है बे-जान बहार
मैं ये कहता हूँ गुलिस्ताँ में बहार आई है.

ये दुनियां हैं यहाँ ख्वाइशें मार देती हैं
ज़्यादा न इतरावो यहाँ तारीख़े मार देती हैं
यहाँ राजा महाराजों की हवेलियां लूट गयी
यहाँ पर हसीनाओं की अदाए मार देती हैं.

 

कहीं भी चला जाउ तेरे साथ रहती हैं
मेरे साथ चलती हैं मेरे यार की खुशबू
तेरे ग़ुलाब से चहेरे के बारे में क्या कहूँ
बहार लेकर आती हैं तेरे रुख़सार की खुशबू.

 

जिस तरह ख़्वाब के हल्के से धुँदलके में कोई
चाँद तारों की तरह नूर सा बरसाता है
हाँ यूँही मेरे तसव्वुर के गुलिस्तानों में
फूल खिल जाते हैं जब तेरा ख़याल आता है.

 

वहाँ पता ही नहीं था कि कैसे रोते हैं
मैंने फिर रो के बताया कि ऐसे रोते हैं
छब्बीस साल का होकर भी ऐसे रोता हूँ
इश्क़ में सोलह बरस वाले जैसे रोते हैं ..

 

उन्हे मेरा इश्क़ मतलबी शायद इसलिये भी
लगा क्योंकि माथा जो चूमा हमने,
काश होंठ चूम लेते तो इश्क़ मुक़म्मल् हो
जाता उनकी नज़रों में।।

 

खुदा की रहमत सारे संसार पर बरसे
मेरे हिस्से की रहमत मेरे यार पर बरसे
ए खुदा मुझे बना देना पानी
अगर मेरा यार कभी प्यास से तरसे।।

 

क्या कहूँ तुझे ख्वाब कहूँ तो टूट जायेगा,
दिल कहूँ तो बिखर जायेगा
आ तेरा नाम जिन्दगी रख दूँ
मौत से पहले तो तेरा साथ छूट न पायेगा।।

 

हर ज़ख्म की वो दवा तो नहीं
मैं रुसवाइयों से अब खैर खाता हूं
कि वो इक रोज़ बन के आए मल’हम मेरा
इस हसरत से मैं रोज़ ज़हर खाता हूं ..

 

जीते थे हम भी कभी शान से
महक उठी थी जिंदगी किसी के नाम से
मगर फिर गुज़रे उस मुकाम से
कि नफ़रत सी हो गई मोहब्बत के नाम से।।

Shayari Mirchi

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