Takleef Shayari in Hindi | 200+ तकलीफ देने वाली शायरी

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Takleef Shayari in Hindi

मिजाज को बस तल्खियाँ ही रास आईं,
हम ने कई बार मुस्कुरा कर देख लिया।

 

मेरी फितरत में नहीं, अपना गम बयां करना,
अगर तेरे वजूद का हिस्सा हूँ, तो महसूस कर तकलीफ मेरी।

 

अपनी ही मोहब्बत से मुकरना पड़ा मुझे,
जब देखा उसे रोता किसी और के लिए।

 

तुम्हारे बाद न तकमील हो सकी अपनी,
तुम्हारे बाद अधूरे तमाम ख्वाब लगे।

 

जिंदगी गुजर ही जाती है, तकलीफें कितनी भी हो,
मौत भी रोकी नहीं जाती, तरकीबें कितनी भी हो।

 

मेरी कोशिश कभी कामयाब ना हो सकी,
न तुझे पाने की न तुझे भुलाने की।

 

मेरे न हो सको तो कुछ ऐसा कर दो,
हम जैसे थे हमें फिर वैसा कर दो।

 

निगाहों से कत्ल कर दे, ना हो तकलीफ दोनों को,
तुझे खंजर उठाने की, मुझे गरदन झुकाने की।

 

मेरी जगह कोई और हो तो चीख उठे,
मैं अपने आप से इतने सवाल करता हूँ।

 

यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझको,
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे।

 

Takleef Shayari in Hindi

सीख कर गया है वो मोहब्बत मुझसे,
जिस से भी करेगा बेमिसाल करेगा।

 

निगाहों से कत्ल कर दे, ना हो तकलीफ दोनों को,
तुझे खंजर उठाने की, मुझे गरदन झुकाने की।

 

तुम्हें चाहने की वजह कुछ भी नहीं,
बस इश्क की फितरत है बे-वजह होना।

 

सच बोलकर भी देख लिया उनके सामने,
लेकिन उन्हें पसंद सदाक़त न थी मेरी।

 

आदत बना ली मैंने, खुद को तकलीफ देने की,
ताकि जब अपना कोई तकलीफ दे, तो तकलीफ ना हो।

 

बिना मेरे रह ही जाएगी कोई न कोई कमी,
तुम जिंदगी को जितनी मर्जी सँवार लेना।

 

एक सवाल पूछती है मेरी रूह अक्सर,
मैंने दिल लगाया है या ज़िंदगी दाँव पर।

 

आराम क्या कि जिस से हो तकलीफ़ और को,
फेंको कभी न पाँव से काँटा निकाल के.

 

अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिसने भी मोहब्बत की,
मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई।

 

गुजरा हूँ हादसात से लेकिन वही हूँ मैं,
तुम ने तो एक बात पे रस्ते बदल लिए।

 

Takleef Shayari Hindi Me

ज़िन्दगी जीने में जो भी तकलीफ महसूस कर रहे हे,
क्या कहे कैसे कहे, उनसे की इस तकलीफ का कारण वो खुद हे.

 

वो मिल गए तो बिछड़ना पड़ेगा फिर से,
इसी ख्याल से हम रस्ते बदलते रहे।

 

क्या खूब ही होता अगर दुख रेत के होते,
मुठ्ठी से गिरा देते… पैरो से उड़ा देते।

 

सारी रात तकलीफ देता हे बस यही एक सवाल साहेब,
के वफ़ा करने वाले अक्सर तनहा क्यों रह जाते हे.

 

नादानी की हद है जरा देखो तो उन्हें,
मुझे खो कर वो मेरे जैसा ढूढ़ रहे हैं।

 

चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई बात नहीं,
मोहब्बत अजनबी होकर बड़ी तकलीफ देती है.

 

उदास कर देती है हर रोज ये शाम मुझे,
लगता है तू भूल रहा है मुझे धीर-धीरे।

 

आज क्यों नहीं होती मेहसुस उसे तकलीफ मेरी,
जो केहता तह पागल तुम जान हो मेरी.

 

एक न एक दिन मैं ढूँढ ही लूंगा तुमको,
ठोंकरें ज़हर तो नहीं कि खा भी ना सकूँ।

 

इतनी शिद्दत से न देख आसमान की तरफ,
जिसकी तुझे हसरत थी वो सितारा ही टूट गया।

 

Takleef Shayari Hindi Me

अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम पर,
अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत ख़त्म ना होती।

 

मैं उसका हूँ ये तो मैं जान गया हूँ लेकिन,
वो किसका है ये सवाल मुझे सोने नहीं देता।

 

बारिश में भीगने के ज़माने गुजर गए,
वो शख्स मेरे शौक चुरा कर चला गया।

 

अपने वो नही होते जो तस्वीर में साथ खड़े होते हैं,
अपने वो हैं जो तकलीफ में साथ खड़े होते हैं।

 

होशो-हवास और ताबो-तवाँ दाग़ जा चुके,
अब हम भी जाने वाले हैं सामान तो गया।

 

वो जो कहते थे हजारों मिलते हैं रोज तेरे जैसे,
उनके हाथों पे मेहँदी लगी है आज बरसों के बाद।

 

न हाथ थाम सके और न पकड़ सके दामन,
बहुत ही क़रीब से गुज़र कर बिछड़ गया कोई।

 

मैं पा नहीं सका इस कशमकश से छुटकारा​,
तू मुझे जीत भी सकता था मगर ​हारा क्यूँ​।

 

वो अँधेरा ही सही था कि कदम राह पर थे,
रोशनी ले आई मुझे मंजिल से बहुत दूर।

 

समझ पाता हूँ देर से मैं दांव-पेंच उसके,
वो बाजी जीत जाता है मेरे चालाक होने तक।

 

Takleef Shayari Hindi Mein

कोई तो है मेरे अंदर मुझको संभाले हुए,
कि बेकरार होकर भी बरक़रार हूँ मैं।

 

जा और कोई ज़ब्त की दुनिया तलाश कर,
ऐ इश्क़ हम तो अब तेरे क़ाबिल नहीं रहे।

 

कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसे,
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा।

 

क़ब्रों में नहीं हम को किताबों में उतारो,
हम लोग मोहब्बत की कहानी में मरे हैं।

 

तुम को फुर्सत जो कभी मिल जाए,
तो खुद से मुझको निजात दे देना।

 

हम जानते तो इश्क़ न करते किसी के साथ,
ले जाते दिल को खाक में इस आरज़ू के साथ।

 

दो हिस्सो में बंट गये मेरे तमाम अरमान,
कुछ तुझे पाने निकले, कुछ मुझे समझाने।

 

तू मेरी बरबादियों के जश्न में शामिल रहा,
ये तसव्वुर ही बहुत आराम देता है मुझे।

 

ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा,
ऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा।

 

Takleef Shayari in Hindi

जैसे बयान से मुकर जाए गवाह कोई…
बस इतना ही बेवफा निकला महबूब मेरा…

 

आये भी लोग, गये भी, उठ भी खड़े हुए,
मैं जा ही देखता तेरी महफिल में रह गया।

 

खुद को लिखते हुए हर बार लिखा है तुमको,
इससे ज्यादा कोई जिंदगी को क्या लिखता?

 

रोज़ ख्वाबों में जीते हैं वो ज़िन्दगी,
जो तेरे साथ हक़ीक़त में सोची थी कभी।

 

भूल जा अब तू मुझे आसान है तेरे लिए,
भूलना तुझको नहीं आसां मगर मेरे लिए।

 

अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तेहा,
तो हम तुमसे नहीं, तुम हमसे मोहब्बत करते।

 

फ़क़त हाथ पर… तेरे लिखने से क्या होगा…
मेरा नाम तेरी… लकीरों में शामिल ही नहीं…

 

बिखरी किताबें भीगे पलक और ये तन्हाई,
कहूँ कैसे कि मिला मोहब्बत में कुछ भी नहीं।

 

लगा कर आग सीने में चले हो तुम कहाँ,
अभी तो राख उड़ने दो तमाशा और होना है।

 

अब क्या जवाब दूँ मैं कोई मुझे बताये,
वह मुझसे कह रहे हैं क्यों मेरी आरज़ू की।

 

सिर्फ एक मोहब्बत की रौशनी ही बाकी है,
वरना जिस तरफ देखो दूर तक अँधेरा है।

 

ना जाने इस ज़िद का नतीजा क्या होगा,
समझता दिल भी नहीं मैं भी नहीं और तुम भी नहीं।

 

लम्हों की दौलत से दोनों ही महरूम रहे,
मुझे चुराना न आया, तुम्हें कमाना न आया।

 

खूबसूरती अक्सर इश्क़ में नज़र आती है,
वरना हर चेहरे में आंखे दाग ही देखती है।।