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पता है जब भी किसी चाहने वाले या चाहने वाली की याद आती हैं तो ये दिल बड़ा ही बेचैन हो जाता हैं. इसी बेचैनी को दूर करने के लिए ये पोस्ट लिखा गया है उमीद है आप लोगो को अच्छा लगेगा।
Yaadein Shayari in Hindi
बहुत हसरत थी दिल मैं एक आशियां बसाने की
आशियां तो बस गया पर नजर लग गयी जमाने की.
ये जो तुम मेरे चेहरे पर मुस्कान देखते हो…
ये हुनर है मेरा कोई हकीकत थोड़ी है…
तेरे जैसा मेरा भी हाल था, न सुकून था न क़रार था
यही उम्र थी मेरे हम-नशीं, किसी से मुझको भी प्यार था.
वो मेरे बाद तरस जाएगी मोहब्बत को,
उसे ये कहना अगर हो सके तो मर जाए.!
अक्सर मै रात को ये सोच कर दूध नही पीता कि….
दूध पीने के बाद मै घूंघट किसका उठाऊंगा..
माना जिंदगी में इश्क से बड़ा कोई रोग नहीं है,
लेकिन इश्क से बेहतर कोई मरहम भी नहीं है।
वो मिली भी तो ग़ालिब वैक्सीनेशन सेंटर पर,
उससे गले मिलते या दो गज की दूरी रखते…!!
ना मेरे सामने उसकी बात होगी ना मैं उसकी बात करूंगा
उसे गिरगिट पसंद थे , मैं भी बदलकर मुलाकात करूंगा.
Yaadein Shayari in Hindi
कोई तुम से लाख कहे कि तेरे लिए जान दे दूँगा ,
लेकिन तुम ये न भूलना तुम जान हो अपने बाबा का.
तुम्हारे मुस्कुराने का असर मेरी सेहत पे होता है,
और देखो, लोग पूछ लेते है,दवा का नाम क्या है!
अब मुझे भी जरूरत पड़ने लगी है चश्मे की
लोगों के धोखे अब ठीक से नज़र नहीं आते।
जब देखा था उसको पहली दफा आफत आ गई थी,
और अब वो खुद आफत सी बनकर आती है….
ये बात अलग है के आज हाथ कट गये अपने ,
फिर भी हम आपकी तस्वीर बनाना नहीं भूले.
लड़ाई एक दिल की दूसरे दिल से होती है,
और नुकसान कम्बख्त लीवर को उठाना पड़ता है.
अब अगर फैसला कर लिया है तो हाथ छोड़ और घर जा ,
कोई भी बद्दुआ दे पर ये मत कह के मर जा तू ,
सांस को बहुत देर लगती है आने में
हर सांस से पहले तेरी याद आ जाती है।
अपना आंसू खुद ही पोछना सीखिए साहब…
उधार के रुमाल में “वायरस” हो सकता है….
तेरे जैसा मेरा भी हाल था, न सुकून था न क़रार था
यही उम्र थी मेरे हम-नशीं, किसी से मुझको भी प्यार था.
गलती किसकी थी ये तो पता नहीं,
पर अब रिश्तें में वो बात नहीं रही !!
उसकी याद आई है साँसों जरा अहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है।
शब्दों से इश्क़ छलकता है मेरे अब …
तेरी मोहब्बत ने कुछ ऐसा शायर बनाया है मुझे .
बिछड़ने वाले तेरे लिए एक मशवरा है,
कभी हमारा ख्याल आए तो अपना ख्याल रखना!!
किसीको कभी कम समझनेकी भूल मत करना,
हर कोई अपने इलाके का बादशाह ही होता हैं।
ना पूछ हुस्न की तारीफ हमसे
मोहब्बत जिससे हो बस वो हसीन है।
ली आती है तेरी याद मेरे जहन में अक्सर
तुझे हो ना हो तेरी यादो को जरूर मुझसे मोहब्बत है।
मेरे सजदे की दुआए तुम क्या जानो…
हमदम सर झुका तो तेरी ख़ुशी मांगी..
हाथ उठे तो तेरी जिंदगी…..
वो जिसकी याद मे हमने खर्च दी जिन्दगी अपनी,
वो शख्श आज मुझको गैर कह के चला गया..❗
अंधेरो में बैठकर खुद से बाते किये है…
हमारे इश्क़ ने बड़े बड़े तमाशे किये है…
एक मंज़िल, एक ठौर, एक ही ठिकाना है…
ज़िन्दगी भी वही, इश्क भी वही, ना कहीं आना ना जाना है…
ऐसा नहीं कि तुम कभी गलत नहीं थे…
बात सिर्फ इतनी सी है कि….
हमने तुम्हें कभी अहसास होने नहीं दिया..
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं…
मौत इंसानों को आती है… यादों को नहीं…
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं..
भीगते हैं जिस तरह से तेरी यादों में डूब कर,
इस बारिश में कहाँ वो कशिश तेरे खयालों जैसी।
जो लम्हा साथ हैं उसे जी भर के जी लो
कमबख्त ये जिंदगी भरोसे के काबिल नहीं.
ज़र्रा ज़र्रा समेटकर खुद को बनाया है मैंने
मुझसे ये ना कहना तुम जैसे लाखो मिलेंगे।
नुमाइश जिस्म की बे-इज्जती करती है इश्क़ की,
मैं सादगी का कायल हूँ, पूरे लिबास में आना।
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ….
वो बोली क्या अब भी हमारी याद आती है,
हमने भी हंसकर बोला अपनी बर्बादी को कौन भूल सकता है..
Yaadein Shayari in Hindi
अक्स देख कर पानी में ही खुश हो लेते हैं।
हमारी दस्तरस में कहाँ चाँद सितारे निकले।
तेरे हाथों का खिलौना मैँ आब ए हबाब।
जब भी जी चाहे तोड़ दे मुझको ज़िंदगी।
आज आई बारिश तो याद आया वो जमाना,
वो तेरा छत पे रहना और मेरा सडको पे नहाना..
काश के खुदा ने दिल शीशे के बनाये होते
तोडने वालो के हाथ में जख्म तो आये होते.
तुम्हारे बाद भला ज़िन्दगी कहाँ जीते
तुम्हारे बाद तो साया भी हमसफ़र नहीं था।
मेरे “शब्दों” को इतने ध्यान से ना पढ़ा करो दोस्तों,
कुछ याद रह गया तो मुझे भूल नहीं पाओगे ..
घुटन सी होने लगी है इश्क़ जताते हुए,
में खुद से रूठ जाता हू तूम्हे मनाते हुए..
ली आती है तेरी याद मेरे जहन में अक्सर
तुझे हो ना हो तेरी यादो को जरूर मुझसे मोहब्बत है।
लिखने वाले ने किया खूब लिखा है
ज़िन्दगी जब मायूस होती है तभी तो महेसूस होती है।
अजीब तरह से गुजर रही है ज़िन्दगी
सोचा कुछ किया कुछ हुआ कुछ और मिला कुछ.
वोह अल्फ़ाज़ ही क्या, जो समझानें पडे
हिटलर मुहब्बत की है, कोई वकालत नहीं ….!!