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Sad Shayari for Boys in Hindi
अज़ब हाल ज़िन्दगी का समझ आता नहीं,
खुशी हँसाती नहीं ग़म मुझे अब रुलाता नहीं!!
तेरे दीदार की कशिश तेरी चौखट तक खींच लायी,
कमबख्त दिल चीखता रहा तेरी आहट भी न आयी।
कभी ख़ुद्दारी की सरहद ही नहीं लाँघते हैं,
भीख तो छोड़िए हम हक़ भी नहीं माँगते हैं!!
नहीं चाहिए ले जाइए यहां से दिल अपना,
हमको रहम की बू आ रही है आपकी जुबां से!
अब उसके हिज्र में रोना हमें बिल्कुल मंज़ूर नहीं,
हम उसकी याद पे अब गरुण पुराण पढ़ा करते हैं!!
यकीन है मुझे झूठ के पैर नहीं होते,
सच को अक्सर मैने घसीटते हुए देखा है!!
एहसास कीजियेगा साँसों को खींचने में,
खून ए जिगर लगा था गुलशन को सींचने मे.!!
गुनहगार हूँ फकत हकीकत बयानी का मुर्शद,
लगा कर चाशनी जुबां पे मुझसे बोला नहीं जाता!!
उफ्फ वो मरमर से तराशा हुआ बदन,
देखने बाले उसे ताजमहल कहते हैं.!!
कल रात मैं तन्हाई में दिल खोलकर रोया,
फिर यूँ हुआ दीवार से बाजू निकल आये!!
मैं ऐसा बदनसीब हूं कि, जिसने अजल के रोज़,
फेंका हुआ किसी का प्यासा मुकद्दर उठा लिया!!
मोहब्बत में मिटने का हौसला भी रखते है
मगर तुम ही हमे मिटा दोगे ये नही जानते थे..
मैं ऐसा बदनसीब हूं कि, जिसने अजल के रोज़,
फेंका हुआ किसी का प्यासा मुकद्दर उठा लिया!!
सारा वुजूद खुशबुओं से तरबतर हो गया,
वो मेरे ज़ेहन से गुज़री और मैं इतर हो गया!!
जिंदा रहना है तो हालात से डरना कैसे,
जंग लाज़िम है तो लस्कर नही देखे जाते!!
भर जाएंगे जब ज़ख्म तो आऊंगा दुबारा,
मैं हार गया जंग पर दिल अभी नहीं हारा.!!
एक नई तर्ज का किरदार दिया जाएगा,
मोहब्बत की कहानी में मुझे मार दिया जाएगा।
बड़ा वक़्त लगता है जल्दी से नहीं भरते,
ये ज़ख्म दिलों के हैं हल्दी से नहीं भरते.!!
बदन के घाव दिखला कर जो अपना पेट भरता है,
सुना है वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है.!!
मैं तुझे याद कर कर के जिंदा हूँ ,
किसी रोज मर जाऊं तो माफ करना!!
सुने जाते न थे तुमसे मेरे दिन रात के शिकवे,
कफ़न सरकाओ मेरी बेज़ुबानी देखते जाओ.!!
ये जो पत्थर हुए बैठे हैं लोग, यकीन मानो,
अपने हिस्से का रो चुके होंगे..!!
मौत की दया पर जीने से बेहतर है,
ज़िन्दा रहने की ख्वाहिश के हाथों मारे जाना.!!
धड़कन संभालूं या सांस काबू में करूँ,
तुझे नज़र भर देखने मे आफ़त बहुत है।
अब शौक़, क़ायदे, उसूल आदतें क्या,
बेज़ार है हम, हाथ पकड़िये कहीं भी ले चलिए।
हर किसी के बस की बात नही रिश्ता निभाना
दिल दुखाना पड़ता है किसी और कि खुशी के लिये..
सारे जमाने में बट गया वक्त उसका,
हमारे हिस्से में सिर्फ बहाने आये।
जब किसी की बदनसीबी उरूज पर होती है,
तब एक ला-हासिल शख़्स से इश्क़ हो जाता है.!!
बेशक बातें तो हर कोई समझ लेता है
हमसफर ऐसा चाहिए जो खामोशी समझ लेे।
देख सांसों से परे रंग ए चमन जोश ए बहार,
इश्क़ करना है तो फिर पांव की ज़ंज़ीरे न देख!!
मुझमें कैद है जाने कितनी आज़ादियाँ,
आज़ादियों में भी कितना कैद हूँ मैं.!!
तुझसे बिछर के किसी और पे मरना है,
जिंदगी का ये तजुर्बा भी इसी जनम करना है।
मेरी खामोशी देखकर मुझसे ये जमाना बोला कि,
तेरी संजीदगी बताती है तुझे हँसने का शोक था कभी !!
कभी आओ तो, मातम करे जुदाई का,
तुम्हारे साथ मनाएं, तुम्हारे बाद का दुख!!
एक पल में सिमट जाते है जज्बातों के रिश्ते
सौदा करना पड़ता है रिश्तों को संभालने के लिए…
प्रेम,मृत्यु के बाद मोक्ष पाने का मार्ग नहीं,
प्रेम,जीवन में जीवन होने की अनुभूति है!!
दर- बदर भटक रहा है वह फकीर,
जो कभी मोहब्बत का हकीम हुआ करता था।
एक दिन सही वक़्त निकाल कर मैं,
अपनी ख्वाईशो को नोच खाऊंगा.!!
के क़रीब-क़रीब ख़ुद को आज़माया है हमने,
तुम्हीं से दूर रहकर तुम्हीं को चाहा है हमने!!
तुम जिस बात पे इतराएं हुए फिरते हो,
हम फकीरों मैं उसे ऐब गिना जाता है !!
ये मेरी खामोशी, यू शोर मचा रही है मुजमे,
जैसे मरता हुआ इंसान, अधूरे लफ्ज़ कहने को तड़पता है।
तुम्हें मुझसे कभी प्यार था ही नहीं,
तुम्हें मैं बस अच्छा लगता था।
उसकी जीत से होती है खुशी मुझे,
यही जवाब मेरे पास अपनी हार का था।
समझदार होते तो मुहब्बत ही क्यूँ करते मुर्शद,
एक दीवाना क्या बताएगा इश्क का मतलब!!
तुम महादेव से मिलोगी तो क्या कहोगी,
मैं तो कह दूँगा मैंने वफ़ा की थी मालिक.!!
चलते चलते थक गया तो पूछा पाँव के छालों ने,
कितनी दूर बसाई है दुनिया तेरे चाहने वालो ने…!
जो आँसू आँख से अचानक निकल पड़ें,
वजह उनकी ज़बान से बयां नहीं होती।
अगर तू शोर है तो मेरी खमोशी तोड़ के दिखा,
अगर तू इश्क़ है तो मेरी रूह मे उतर कर दिखा।
भटकती रूह को मिल ही गया किनारा,
जो ख्वाब आँखो में ठहरा वो बस तुम्हारा।
छत टपकती ह उसके कच्चे मकान की,
फिर भी “बारिश” हो जाये तमन्ना है किसान की।
कर्ज लेने की आदत तो नहीं थी हमारी
पर दिल जरूर गिरवी पड़ा है तुम्हारे पास।
हर किसी के बस की बात नही मुहब्बत को निभा सको
दिल दुखाना पड़ता है दोस्त रिश्ता निभाने को ।।
अच्छा होते है वो लोग जो आकर चले जाते है।
थोड़ा ठहर कर जाने वाले बहुत रुलाते है।
उम्र नही थी जनाब मेरी इश्क़ करने की,
बस एक चेहरा देखा और गुनाह कर बैठे।
अब ये क्या बात हुई कि रात में रोते हो तुम,
ग़र इश्क़ है तो दिन भी तबाह होना चाहिए..!
बिखरे अरमान, भीगी पलकें और ये तन्हाई,
कहूँ कैसे कि मिला मोहब्बत में कुछ भी नहीं।
हैरत नहीं है कि तुमने पुकारा नहीं मुझे,
अफसोस है कि जान से मारा नहीं मुझे!!
है मोहलत चार दिन की और हैं सौ काम करने को,
हमें जीना भी है मरने की तैयारी भी करनी है..!!
तेरे बाद तेरे पागल आशिक ने खुदकुशी कर ली,
अब जो जिंदा है,जिम्मेदार लड़का है घर का.!!
मोहब्बत खा गई जवान नस्लो को मुर्शद,
अब ये लड़के त्योहारों पे खुश भी नही रहते!!
क्या फर्क़ पड़ता है किसी के होने
और ना होने मे एहसास सिर्फ होता उसके खोने मे !!
मै क्या करू की तेरी अना को सुकून मिले,
गिर जाऊ, टूट जाऊ, बिखर जाऊ, मर जाऊ.!!
हमारे वक़्त में महरूमियों के घाव इतने हैं,
हमें खुशियों पे हंसने का सलीका तक नही आता.!
ज़ख्म हरे होने का फ़ायदा उठाया है मैंने,
अपने दर्द सुना सुनाके, लोगों को रुलाया है मैंने!!
कुछ अजीज यारो ने बातों में लगा रखा हैं…
वर्ना महबूब से बिछड़ने वाले कब के मर गए होते…!
जनाजे को देख कर, एक बात तो समझ आ गई,
लोग कांधे पर बिठा के, मिटी में मिला देते है।