Pyar Wali Shayari in Hindi | प्यार वाली शायरी | Pyar Wala Shayari in Hindi | प्यार बढ़ाने वाली शायरी | Pyar Wali Shayari in Urdu | सच्चा प्यार करने वाली शायरी | Pyar Wali Shayari.
Pyar Wali Shayari in Hindi
इश्क़ को यूँ ही खुलेआम गुलों सा सवरनें दें…!
कायदे न सीखा मोहब्बत के खुश्बू सा बिखरने दें…!!
आ जाएगा जिस रोज़ अपने दिल को समझाना मुझे.
तो आपकी ये बेरुखी किस काम की रह जाएगी..
“इंतज़ार है मुझे ज़िन्दगी के आख़री पन्नों का,
सुना है…अंत में सब ठीक हो जाता है।”
“तुझ से मिल कर हमें रोना था…बहुत रोना था;
वक़्त-ए-मुलाक़ात की तंगी ने हमें रोने ना दिया !”
हर रोज़ सुनाया जाता हूँ, जाने मैं
कैसा किस्सा हूँ, मेरे हिस्से में कुछ भी नहीं,
फ़िर भी मैं तुम्हारा हिस्सा हूँ…!!
रूखसत कर दो मुझे, अपनी रोज की ख्वाहिशों से…!!
दर्द होता है मुझे, तेरी रोज की आजमाइशों से…!!!!
“हमसे अब और उससे नाराज़ नहीं हुआ जाता,
हम बस ख़ामोश हो जाते हैं।”
ना पा सकूं, ना भुला सकूं वो मेरी मजबूरी है…!
उनके बिना जी रहे हैं और जी भी लेंगे, फिर भी वो जरूरी है…!!
“लोग तो आदतन मजबूर हैं…मारेंगे पत्थर;
क्यूँ न हम शीशे से कह दें…टूटा न करें!”
“उलझनें क्या बताऊँ ज़िंदगी की…,
उसके ही गले लगकर…उसकी ही शिकायत करनी है।”
हुजूर! महोब्बत की है कोई गुनाह नही,
तेरे सिवा दूसरे को चाहना मेरे बस में नही।।
मैंने तेरे बाद किसी के साथ जुड़ कर नहीं देखा…!!
मैंने तेरी राह तो देखी,पर तूने मुड़ कर नहीं देखा…!!
एक तरफ़ा ही सही प्यार तो प्यार ही है…!!
उसे हो ना हो हमें तो बेशुमार ही है…!!!!
गुलों से राब्ता, चाँद से बातें, रेशमी तमन्नाएं और आप..सच…!
बड़े ही ख़ुशनुमा होते हैं, ये ख़्वाहिशों के मौसम…!!
गेंद जैसा हो गया है इश्क़ भी,
कभी इस तरफ़ तो कभी उस तरफ़।।
मुस्कुरा के महफ़िल में, दर्द को दबाया है उसने…!!
झूठ तो नहीं बोला, सच मगर छुपाया है उसने…!!!!
तू बेख़ौफ़ हो के बढ़ा ताल्लुक़ हमसे,
हम मोहब्बत में लिबास नहीं उतारते।”
आंशू भी दर्द में अकेला छोड़कर बह जाते है…
जब दुख आता है जिंदगी में तब हम अकेले हो जाते है..
इन आँखों मे आंसू के सिवा बचा क्या है,
जबसे तूने बेरहमी से कहा मेरे दिल में तेरा क्या है।।
कभी काग़ज़ पे लिखा था तेरा नाम अनजाने में…
उससे बेहतर नज़्म, फिर कभी लिख नहीं पाया…!
चलो छोडो, तुम्हें क्या बताना महोब्बत के दर्द को…!!
जान जाओगे तो, जान से जाओगे…!!!!
हमसे एक मोहब्बत भुलाई नहीं जाती…
और लोगों को हर रोज़ महबूब बदलते देखा है…!!
“झोली भर कर फूल झरे थे कल रात में,
लगता है तुम आए थे मेरे आँगन में।”
“तो कुछ इस तरह से आज़माइश हुई मेरी,
कि तुझे छीन के सब्र सिखाया गया मुझे।”
एक मुकाम जिंदगी में..ऐसा भी आता है…!!!
क्या भूलना है बस यही..याद रह जाता है…!!!!
नज्मों से ना तोलो जज़्बातों को…!!
कागज़ पर उतारने में और दिल से गुज़रने में फर्क होता है…!!!!
तुझे यूं समेट कर रखदूं खुद में…!!
तू बिखरे भी तो मेरी हद में…!!!!
तबाह होकर भी तबाही दिखती नहीं…,
ये इश्क है हुज़ूर…इसकी दवाई बिकती नहीं।
फुर्सत हो तो मिलकर शिकायत भी कीजिये…!
गुजर गया है साल कुछ प्यार भरी बातें कीजिये…!!
सारे ज़माने में बँट गया वक़्त उसका
हमारे हिस्से में सिर्फ़ बहाने आए।”
“हज़ार रास्ते थे उसे भुलाने के,
मगर हमने भी ईश्क़ की सज़ा की तरह उसे याद रखा!”
हर लफ़्ज मेरी नज़्म का तुझसे था मुख़ातिब…!!
कुछ हम ना लिख सके, कुछ तुम ना पढ़ सके…!!
“पागलपन की हद से ना गुजरे तो वह प्यार कैसा,
होश में तो रिश्ते निभाए जाते है।”
ये इश्क मोहब्बत की रिवायत भी अजीब है…!!
पाया नहीं जिसको, उसे खोना नहीं चाहते…!!!!
जज़्बात सीने के शब्दों में बयां कीजिए…!!
इश्क़ में नशा बहुत है थोड़ा-थोड़ा लिया कीजिए…!!
“वक़्त तुम्हारा आया तो तुम बदल गये,
पर वक़्त हमारा रहे या ना रहे…हम हर वक़्त तेरे ही होंगे।”
है फूल सी नाज़ुक और दिल कठोर कितना,
हम खुद है हारे हुए तू सताएगी कितना।।
उम्मीदें ही दर्द देती है ये जाना है हमनें,
अब उसके गए रास्ते पे हर सांझ इंतज़ार किया है हमनें।।
“उतर ही आते है कलम के सहारे कागज पर…,
तेरे ख्याल कमबख़्त जिद्दी बहुत है…।”
किस्सों में ढूंढा गया मुझे पर,मैं तो कहानी में था…!!
आप तो किनारे से लौट आए, मैं वहीं पानी में था…!!
हवाओं में लिपटा हुआ मैं गुज़र जाऊँगा
तुमको छू के, अगर मन हो तो रोक लेना,
ठहर जाऊँगा इन लबों पे…
लबों पे ये प्यारी मुस्कान, आंखों में पीर है पराई…
चेहरे पे जैसे चांद खिला, पूरी जन्नत इसमें है समाई…
“हमारी उदासियाँ उसे नज़र आती भी तो कैसे?
उसे देखकर ही हम अक्सर मुस्कुराने लगते थे।”
सब्र करने पर आउं तो, मुड़ कर भी ना देखूं..
तुमने अभी देखा ही नहीं.. मेरा पत्थर होना…!!
तुम संग बीते वक़्त का मैं कोई हिसाब नहीं रखती
मैं बस लम्हे जीती हूँ, इसके आगे कोई ख्वाब नहीं रखती।
वो जो उड़ जाते है तेरी पलकों की छत से…!!
वो कई ख्वाब मेरी आँखों में आ बैठे हैं…!!!!
दिल चाहे हज़ार बार चीखे…उसे चिल्लाने दीजिये।
पर जो आपका नहीं हो सकता…उसे जाने दीजिए।
उदास होने पर भी मुझे हँसा देती है…,
वो कुछ यादें जो सिर्फ मेरी है।
हल्की कत्थई!! ख़ूब गहरी सी वो मस्त-मलंग आँखें..!!
हाय रब्बा!! कह गयी खामोशी में भी हजार बातें..!!
सिर्फ सुनते रहे पर आहटों को गिन नहीं पाएँ…
हम अपने दरमियां दुश्वारियों को गिन नहीं पाएँ…
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन,
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा…।
रोशन हुई हैं महफिल मेरी, तेरे आ जानें से तू…!!
रोज ही चला आया कर ना यूं ही किसी बहाने से…!!
यूँ तो लिखने के लिए क्या नहीं लिखा मैंने…??
फिर भी, जितना तुझे चाहा कभी नहीं लिखा मैंने…!!
तेरी बातों में जिक्र मेरा, मेरी बातों में जिक्र तेरा,
अजब सा ये इश्क है, ना मैं तेरी ना तु मेरा ..!!
अक्सर तुम्हारी निगाहों को मुस्कुराते देखा है मैंने…!!
अपनी मोहब्बत को तुम्हें दिल में छुपाते देखा है मैंने…!!!!
सांझ ढले तेरी बाहों में कोई ऐसी शाम आए,
काश किसी बहाने से दिल को आराम आए…!!!!
वो कहती है कि हम उनकी झूठी तारीफ करते हैं…
ऐ खुदा बस एक दिन के लिए आईने को जुबान दे दो…
तुम अगर साथ रहो आ कर हमनशीं की तरह.
ज़िन्दगी लगने लगे फिर तो ज़िन्दगी की तरह..
बार-बार जाती है नजर क्यों तुम पर मेरी कलम की…
शायद अधूरी मुहब्बत हो तुम मेरे पिछले जनम की…
शिक़ायत नहीं है तुझसे, बस सवाल है इतना…!!
रखती तो है न मेरे बिन, तू ख़्याल अब अपना…??