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Impress Shayari in Hindi
सजा मेरे हिस्से की उनको बस इतनी ही देना मेरे मौला,
तारे मै गिनता रहु और वो रात-भर करवटे बदलती रहे.
दिए हैं ज़ख़्म तो मरहम का तकल्लुफ न करो,
कुछ तो रहने दो, मुझ पे एहसान अपना.!!!
कोई ठुकरा दे तो हँसकर जी लेना,
क्यूँकि मोहब्बत की दुनिया में जबरदस्ती नहीं होती..!!
हवा खिलाफ थी लेकिन चिराग भी खूब जला,
खुदा भी अपने होने का क्या क्या सबूत देता है !!
अब मायूस क्यूँ हो उस की बेवफाई पे
तुम खुद ही तो कहते थे कि वो सबसे जुदा है।
तेरी चाहत में रुसवा यूँ सरे बाज़ार हो गये,
हमने ही दिल खोया और हम ही गुनहगार हो गये।
ना शाखों ने जगह दी, ना हवाओं ने बख्शा,
मैं हूँ टुटा हुआ पत्ता, आवारा ना बनता तो क्या करता.
जिंदगी का खेल शतरंज से भी मज़ेदार होता है,
लोग हारते भी है तो अपनी ही रानी से..
अक्सर दिखावे का प्यार ही शोर करता है,
सच्ची मोहब्बत तो इशारों में ही सिमट जाती है.
दिखने में वो बहुत गरीब थी साहब पर..
उसकी हँसी किसी शहजादी से कम नहीं थी।
ये ज़रूरी नहीं है की हर बात पर तुम मेरा कहा मानो,
दहलीज पर रख दी है चाहत और अब आगे तुम जानो।
तेरा नाम था आज अजनबी की जुबान पर,
बात जरा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया।
हमें सीने से लगाकर हमारी सारी कसक दूर कर दो,
हम सिर्फ तुम्हारे हो जाऐ हमें इतना मजबूर कर दो।
हम से न हो सकेगी मोहब्बत की नुमाइश,
बस इतना जानते है तुम्हे चाहते है हम।
टपकती है निगाहों से… झलकती है अदाओं से,
मोहब्बत कौन कहता है की पहचानी नहीं जाती ?
अपनी कलम से दिल से दिल तक की बात करते हो
सीधे सीधे कह क्यों नहीं देते हम से #प्यार करते हो।
चूम लूँ तेरे गालों को दिल की ख्वाहिश है,
ये में नहीं कहता ऐसी दिल की फरमाहिश है !
ज़िंदगी मे कोई आपसे ज़्यादा आपकी फिक्र करने लगे,
तो ज़िंदगी जन्नत बन जाती हैं..
चारों तरफ आइने का साया नजर आता है,
समंदर के पास बेठा बन्दा फिर भी प्यासा नजर आता है.
इन दिनों दिल अपना सख्त बे-आराम रहता है,
इसी हालत में लेकर सुबह से शाम रहता है।
मुमकिन अगर हो सके तो वापस कर दो,
बिना दिल के अब हमारा दिल नहीं लगता।
खुद को समेट के, खुद में सिमट जाते हैं हम..
एक याद उसकी आती है.. फिर से बिखर जाते है हम।
अजीब अंधेरा है ऐ इश्क़ तेरी महफ़िल में,
किसी ने दिल भी जलाया तो रोशनी ना हुई।
अब उसके साथ रहूँ या फिर उस से किनारा कर लूँ,
जरा ठहर जा ऐ दिल मैं ये फैसला दोबारा कर लूँ।
तुम साथ हो तो दुनियां अपनी सी लगती है !
वरना सीने मे सांसे भी पराई सी लगती है !!
आज भी कितना नादान है दिल समझता ही नहीं,
बाद बरसों के उन्हें देखा तो दुआएँ माँग बैठा।
चलो दिल की अदला-बदली कर लें,
तड़प क्या होती है समझ जाओगे।
बहुत सा पानी छुपाया है मैंने अपनी पलकों में,
जिंदगी लम्बी बहुत है, क्या पता कब प्यास लग जाए।
यूँ तो एक ठिकाना मेरा भी है… ए सनम,
पर तेरे बिना मैं गुमशुदा सा महसूस करता हूँ।
इश्क़ हारा है तो दिल थाम के क्यों बैठे हो,
तुम तो हर बात पर कहते थे कोई बात नहीं।
कर दिया मेरी चाहत ने उसे लापरवाह..
मैने याद नही दिलाया, तो मेरा ख्याल भी नही आया।
कोई एक शख्स कुछ इस कदर मिले,
वो जब भी मिले तब एक सुकून मिले !
तेरे इश्क में डूब कर कतरे से दरिया हो जाऊँ,
मैं तुमसे शुरू होकर तुझमें ख़त्म हो जाऊँ।
ये आँखे दिनभर कुछ तलाशती रहती हैं..
कोई तो है जिस का इन्हे इंतजार है।
तूने मेरी मोहब्बत की दीवानगी को समझा ही नहीं,
मैं बारिश में भी तेरे आसुओं को पहचान लेता था।
एहसासों की नमी बेहद जरुरी है हर रिश्ते में,
रेत भी सूखी हो तो हाथों से फिसल जाती है।
कमी तो होनी ही है पानी की, शहर में,
न किसी की आँख में बचा है, न किसी के जज़्बात में।
लो खुद ही सुन लो.. तुम मेरी धड़कनो की आवाज़,
मै कहूंगा कि ये दिल इस कदर धड़कता है तो तुम झूठ मानोगी।
बहुत सा पानी छुपाया है मैंने अपनी पलकों में,
जिंदगी लम्बी बहुत है,क्या पता कब प्यास लग जाए।
तुझे महसूस करने का हर अहसास अजीब है,
तू पास है तो पास है, जब दूर है तो भी पास है।
जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है,
जो साज़ पर बीती है वो दर्द किस दिल को पता है।
जैसे जैसे तू हसीन दिखने लगी है,
मेरी कलम और भी अच्छी शायरी लिखने लगी है।
खयालों में उसके मैंने बिता दी ज़िंदगी सारी,
इबादत कर नहीं पाया खुदा नाराज़ मत होना।
अपनी खामोशी में मुझे क्यूँ तलाश रहे है हुजूर..
अपने धडकनों से पूछो मेरा एक बसेरा वहां भी है।
कौन कहता है आग से आग बुझती नहीं,
हुज़ूर, दिल से ज़रा दिल, लगा कर तो देखो।
सुनो मेरी जान तुम्हारा हाथ पकड़कर घूमने का,
दिल करता है, चाहे वो ख़्वाबों में हो या हक़ीक़त में।
प्रेम की धारा, बहती है जिस दिल में,
चर्चा उसकी होती है, हर महफ़िल में।
सबक तो तूने बहुत सिखाये ए जिंदगी,
मगर शुक्रिया तेरा किसी का दिल तोड़ना नही सिखाया।
अगर निगाहे हो मंज़िल पर और कदम हो राहो पर,
ऐसी कोई राह नही जो मंज़िल तक ना जाती हो।
ब इस से ज्यादा क्या नरमी बरतू,
दिल के ज़ख्मो को छुया है तेरे गालों की तरह।
ना शाखों ने पनाह दी,ना हवाओ ने बक्शा,
वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता।
काश एक ख्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर,
वो आ कर गले लगा ले, मेरी इजाजत के बगैर !
कभी हमसे भी, पूछ लिया करो हाल-ए-दिल,
कभी हम भी तो कह सकें, दुआ है आपकी।
दिल मे ना जाने कैसे तेरे लिए इतनी जगह बन गई,
तेरे मन की हर छोटी सी चाह मेरे जीने की वजह बन गई।