Dukhi Shayari in Hindi | झूठा प्यार के लिए शायरी | Hindi Dukhi Shayari | दिखावे का प्यार शायरी | Sad Shayari in Hindi | किसी और से प्यार शायरी | Bewafa Shayari hindi two line | वादा तोड़ने वाली शायरी.
Dukhi Shayari in Hindi
निकाल दिया उसने हमें अपनी जिंदगी से,
भीगे कागज़ की तरह,
न लिखने के काबिल छोड़ा न जलने के।
हम तो नरम पत्तों की शाख़ हुआ करते थे,
छीले इतने गए कि “खंज़र ” हो गए…
वजह तक पूछने का मौका ही ना मिला,
बस लम्हे गुजरते गए और हम अजनबी होते गए।
निकले हम दुनिया की भीड़ में तो पता चला की…
हर वह शख्स अकेला है, जिसने मोहब्बत की है!
अब मोहब्बत नहीं रही इस जमाने में,
क्योंकि लोग अब मोहब्बत नहीं मज़ाक किया करते है।
पलकों की हद तोड़ के, दामन पे आ गिरा,
एक आसूं मेरे सब्र की, तोहीन कर गया।
अच्छा है आँसुओं का रंग नहीं होता,
वरना सुबह के तकिये रात का हाल बयां कर देते।
टूटे हुए दिल भी धड़कते है उम्र भर,
चाहे किसी की याद में या फिर किसी फ़रियाद में!!
टूट कर चाहना और फिर टूट जाना,
बात छोटी है मगर जान निकल जाती है।
हर दर्द का इलाज़ मिलता था जिस बाज़ार में,
मोहब्बत का नाम लिया तो दवाख़ाने बन्द हो गये!!
अभी एक टूटा तारा देखा, बिलकुल मेरे जैसा था,
चाँद को कोई फर्क न पड़ा, बिलकुल तेरे जैसा था।
छोड़कर अपनी यादों की निशानियां मेरे दिल में,
वो भी चले गये वक्त की तरह।
तरस आता है मुझे अपनी, मासूम सी पलकों पर,
जब भीग कर कहती हैं कि अब, रोया नहीं जाता।
फ़रियाद कर रही है तरसी हुई निगाहें,
किसी को देखे एक अरसा हो गया।
न ज़ख्म भरे, न शराब सहारा हुई,
न वो वापस लोटी, न मोहब्बत दोबारा हुई..
हमें देख कर जब उसने मुँह मोड़ लिया,
एक तसल्ली हो गयी चलो पहचानते तो हैं।
मैं तो रह लूंगा तुझसे बिछड़ कर तन्हा भी,
बस दिल का सोचता हूँ, कहीं धडकना न छोड़ दे!!
सिर्फ हम ही है तेरे दिल में,
बस यही गलतफहमी हमें बर्बाद कर गई।
छोड़ दिया हमने तेरे ख्यालों में जीना,
अब हम लोगों से नहीं, लोग हमसे मोहब्बत करते है।
मोहब्बत नही तो मुकदमा हि दायर कर दे जालिम,
तारीख दर तारीख तेरा दीदार तो होगा।
झूठा प्यार के लिए शायरी
मुस्कुराने की आदत भी कितनी महँगी पड़ी हमे,
छोड़ गया वो ये सोच कर की हम जुदाई मे भी खुश हैं!!
रहेगा किस्मत से यही गिला ज़िंदगी भर,
जिसको पल-पल चाहा उसी को पल-पल तरसे!!
कल रात का आलम इस कदर था यारो,
उसकी यादों ने मेरी आँखो को सोने ना दिया!!
बहुत मासूम होते है ये आँसू भी,
ये गिरते उनके लिए है, जिन्हें परवाह नहीं होती।
खता उनकी भी नहीं है वो क्या करते,
हजारों चाहने वाले थे किस-किस से वफ़ा करते।
चले जायेंगे एक दिन, तुझे तेरे हाल पर छोड़कर…
कदर क्या होती हैं प्यार की, तुझे वक़्त ही सीखा देगा…
माफ़ी चाहता हूँ गुनेहगार हूँ तेरा ऐ दिल,
तुझे उसके हवाले किया जिसे तेरी कदर नहीं।
न जाने कौन सी साजिशों के हम शिकार हुए,
जितना साफ दिल रखा उतने ही हम दागदार हुए।
लगता है मैं भूल चुका हूँ, मुस्कुराने का हुनर,
कोशिश जब भी करता हूँ, आँसू निकल आते हैं..!
शीशे में डूब कर, पीते रहे उस “जाम” को,
कोशिशें तो बहुत की मगर, भुला ना पाए एक “नाम” को।
ख्वाहिश तो न थी किसी से दिल लगाने की,
पर किस्मत में दर्द लिखा हो तो मुहब्बत कैसे ना होती।
किस्मत की किताब तो खूब लिखी थी मेरी खुदा ने,
बस वही पन्ना गुम था जिसमें मुहब्बत का जिक्र था।
अपना बनाकर फिर कुछ दिनों में बेगाना बना दिया,
भर गया दिल हमसे और मजबूरी का बहाना बना दिया।
आदत बदल सी गई है वक्त काटने की,
हिम्मत ही नहीं होती अपना दर्द बांटने की।
तन्हाई की चादर ओढ़कर रातों को नींद नहीं आती हमें,
गुजर जाती है हर रात किसी की बातों को याद करते करते।
मैं अक्सर रात में यूं ही सड़क पर निकल आता हूँ,
यह सोचकर की कहीं ,चाँद को तन्हाई का अहसास न हो।
हमने उतार दिए सारे कर्ज तेरी मुहब्बत के,
अब हिसाब होगा तो सिर्फ तेरे दिए हुए जख्मों का।
लिखी है खुदा ने मोहब्बत सबकी तक़दीर में,
हमारी बारी आई तो स्याही ही ख़त्म हो गई!!
जुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आजमाये गये,
जुल्म भी सहा हमने, और जालिम भी कहलाये गये!!
सुना था मोहब्बत मिलती है, मोहब्बत के बदले,
हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया।
दुनिया फ़रेब करके हुनरमंद हो गई…
हम ऐतबार करके गुनाहगार हो गए…
आखिर क्यों बस जाते हैं दिल में, बिना इजाज़त लिए वो लोग,
जिन्हे हम ज़िन्दगी में कभी पा, नहीं सकते।
माना मौसम भी बदलते है मगर धीरे-धीरे,
तेरे बदलने की रफ़्तार से तो हवाएं भी हैरान है।
इस सलीके से मुझे क़त्ल किया है उसने,
दुनिया अब भी समझती है कि ज़िंदा हूँ मैं।
मेरी आँखो का हर आँसू, तेरे प्यार की निशानी है,
जो तू समझे तो मोती है, ना समझे तो पानी है…
लम्हा दर लम्हा साथ, उम्र बीत ज़ाने तक,
मोहब्बत वहीं हैं ज़ो चले, मौत आने तक…
भीगी नहीं थी मेरी आँखें कभी, वक़्त की मार से…
देख तेरी थोड़ी सी बेरुखी ने इन्हें,जी भर के रुला दिया…
इन्हीं रास्तों ने जिन पर मेरे साथ, तुम चले थे…
मुझे रोक के पूछा की तेरा, हमसफ़र कहाँ है…
जागना कबूल हैं तेरी यादों में रात भर,
तेरे एहसासों में जो सुकून है वो नींद में अब कहाँ!!
मुस्कुराने की अब वजह याद नहीं रहती,
पाला है बड़े नाज़ से… मेरे गमों ने मुझे!