Desh Bhakti Kavita in Hindi | प्रेरणा देने वाली देशभक्ति कविता | Patriotic Poems in Hindi | देश प्रेम भक्ति कविता की चार पंक्तियां | Desh Bhakti Kavita in Hindi | Motivational Hindi Poem.
Desh Bhakti Kavita in Hindi
आदमी का गीत,
देश हमारा धरती अपनी, हम धरती के लाल
नया संसार बसाएँगे, नया इन्सान बनाएँगे
सौ-सौ स्वर्ग उतर आएँगे,
सूरज सोना बरसाएँगे,
दूध-पूत के लिए पहिनकर
जीवन की जयमाल,
रोज़ त्यौहार मनाएँगे,
नया संसार बसाएँगे, नया इंसान बनाएँगे।
देश हमारा धरती अपनी, हम धरती के लाल।
नया संसार बसाएँगे, नया इन्सान बनाएँगे॥
सुख सपनों के सुर गूँजेंगे,
मानव की मेहनत पूजेंगे
नई चेतना, नए विचारों की
हम लिए मशाल,
समय को राह दिखाएँगे,
नया संसार बसाएँगे, नया इंसान बनाएँगे।
देश हमारा धरती अपनी, हम धरती के लाल।
नया संसार बसाएँगे, नया इन्सान बनाएँगे॥
एक करेंगे मनुष्यता को,
सींचेंगे ममता-समता को,
नई पौध के लिए, बदल
देंगे तारों की चाल,
नया भूगोल बनाएँगे,
नया संसार बसाएँगे, नया इन्सान बनाएँगे।
देश हमारा धरती अपनी, हम धरती के लाल।
नया संसार बसाएँगे, नया इन्सान बनाएँगे॥
Desh Bhakti Shayari Hindi Mein
Desh Bhakti Kavita in Hindi
होंगे कामयाब,
हम होंगे कामयाब एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन।
हम चलेंगे साथ-साथ
डाल हाथों में हाथ
हम चलेंगे साथ-साथ, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन।
होगी शांति चारों ओर
होगी शांति चारों ओर, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
होगी शांति चारों ओर एक दिन।
नहीं डर किसी का आज
नहीं डर किसी का आज एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
नहीं डर किसी का आज एक दिन।
Desh Bhakti Kavita in Hindi
सारा देश हमारा,
केरल से करगिल घाटी तक
गौहाटी से चौपाटी तक
सारा देश हमारा
जीना हो तो मरना सीखो
गूँज उठे यह नारा –
केरल से करगिल घाटी तक
सारा देश हमारा,
लगता है ताज़े लोहू पर जमी हुई है काई
लगता है फिर भटक गई है भारत की तरुणाई
काई चीरो ओ रणधीरों!
ओ जननी की भाग्य लकीरों
बलिदानों का पुण्य मुहूरत आता नहीं दुबारा
जीना हो तो मरना सीखो गूँज उठे यह नारा –
केरल से करगिल घाटी तक
सारा देश हमारा,
घायल अपना ताजमहल है, घायल गंगा मैया
टूट रहे हैं तूफ़ानों में नैया और खिवैया
तुम नैया के पाल बदल दो
तूफ़ानों की चाल बदल दो
हर आँधी का उत्तर हो तुम, तुमने नहीं विचारा
जीना हो तो मरना सीखो गूँज उठे यह नारा –
केरल से करगिल घाटी तक
सारा देश हमारा,
Desh Bhakti Kavita in Hindi
कहीं तुम्हें परबत लड़वा दे, कहीं लड़ा दे पानी
भाषा के नारों में गुप्त है, मन की मीठी बानी
आग लगा दो इन नारों में
इज़्ज़त आ गई बाज़ारों में
कब जागेंगे सोये सूरज! कब होगा उजियारा
जीना हो तो मरना सीखो, गूँज उठे यह नारा –
केरल से करगिल घाटी तक
सारा देश हमारा
संकट अपना बाल सखा है, इसको कठ लगाओ
क्या बैठे हो न्यारे-न्यारे मिल कर बोझ उठाओ
भाग्य भरोसा कायरता है
कर्मठ देश कहाँ मरता है?
सोचो तुमने इतने दिन में कितनी बार हुँकारा
जीना हो तो मरना सीखो गूँज उठे यह नारा
केरल से करगिल घाटी तक
सारा देश हमारा
Poem On Desh Bhakti
Poem On Desh Bhakti
प्यारे भारत देश
गगन-गगन तेरा यश फहरा
पवन-पवन तेरा बल गहरा
क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले
चरण-चरण संचरण सुनहरा
ओ ऋषियों के त्वेष
प्यारे भारत देश।।
वेदों से बलिदानों तक जो होड़ लगी
प्रथम प्रभात किरण से हिम में जोत जागी
उतर पड़ी गंगा खेतों खलिहानों तक
मानो आँसू आये बलि-महमानों तक
सुख कर जग के क्लेश
प्यारे भारत देश।।
तेरे पर्वत शिखर कि नभ को भू के मौन इशारे
तेरे वन जग उठे पवन से हरित इरादे प्यारे!
राम-कृष्ण के लीलालय में उठे बुद्ध की वाणी
काबा से कैलाश तलक उमड़ी कविता कल्याणी
बातें करे दिनेश
प्यारे भारत देश।।
जपी-तपी, संन्यासी, कर्षक कृष्ण रंग में डूबे
हम सब एक, अनेक रूप में, क्या उभरे क्या ऊबे
सजग एशिया की सीमा में रहता केद नहीं
काले गोरे रंग-बिरंगे हममें भेद नहीं
श्रम के भाग्य निवेश
प्यारे भारत देश।।
वह बज उठी बासुँरी यमुना तट से धीरे-धीरे
उठ आई यह भरत-मेदिनी, शीतल मन्द समीरे
बोल रहा इतिहास, देश सोये रहस्य है खोल रहा
जय प्रयत्न, जिन पर आन्दोलित-जग हँस-हँस जय बोल रहा,
जय-जय अमित अशेष
प्यारे भारत देश।।