जबरदस्त बेवफाई शायरी | Bewafa Shayari in Hindi for Love | प्यार में बेवफा शायरी | टूटे हुए दिलों के लिए बेवफा शायरी | Bewafa love Shayari in Hindi | प्यार के लिए बेवफा शायरी
Bewafa Shayari in Hindi for Love
मेरी नजरो को आज भी तलाश है तेरी,
बिन तेरे हर खुशी भी उदास हे मेरी !!
खुदा से मांगा है तो सिर्फ इतना,
कि, मरने से पहले आपसे मुलाक़ात हो मेरी !!
खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है,
हंसती आंखों में भी जख्म गहरे होते है,,
जिनसे अक्सर रूठ जाते है हम,
असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है!
नफरतें लाख मिलीं पर मोहब्बत न मिली,
ज़िन्दगी बीत गयी मगर राहत न मिली,
तेरी महफ़िल में हर एक को हँसता देखा,
एक मैं था जिसे हँसने की इजाज़त न मिली।
मैं तेरे प्यार से घर अपना बसाऊं कैसे,
मैं तेरी मांग सितारों से सजाऊँ कैसे,
मेरी किस्मत में नहीं प्यार की खुश्बू शायद,
मेरे हाथों की लकीरों में नहीं तू शायद।
कितना बेबस है इंसान किस्मत के आगे,
हर सपना टूट जाता है हकीकत के आगे,
जिसने कभी दुनिया में हारना नहीं सीखा,
वो भी हार जाता है मोहब्बत के आगे।
तेरी यादों के सहारे जी रहे हैं हम,
वो प्यार भरी बातों को याद कर रहे हैं हम।
तूने तोड़ दिया हमारे दिल की ख्वाहिशों को,
अब तन्हाईयों में बस रोते हैं हम।
मोहब्बत के भी कुछ राज होते हैं,
जागती आँखों मे भी ख्वाब होते हैं !!
जरूरी नही है कि गम मे ही आँसू आएँ,
मुस्कुराती आँखों मे भी सैलाब होते हैं !!
काश वो समझते इस दिल की तड़प को,
तो हमें यूँ रुसवा न किया जाता,
यह बेरुखी भी उनकी मंज़ूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझ तो लिया होता।
खुद को कुछ इस कदर तबाह किया,
इश्क़ किया एक खूबसूरत गुनाह किया,
जब मोहब्बत में न थे तब खुश थे हम,
दिल का सौदा हमने बेवजह किया।
वादों की किताबों को आग लगा के देखा,
तेरे खिलौनों की गलियों में छा के देखा।
तूने जब तक़दीर की धारा बदल दी,
मैंने अपने ख्वाबों को तुझसे छीन के देखा।
तूने दिल से खेला हमारे प्यार को,
हम तो सिर्फ तेरी मोहब्बत में खोये थे।
पर तूने हमें तोड़ दिया बेवफ़ाई के सफर में,
अब हम तेरी यादों से ही डरते हैं।
दुवाओं पे हमारी ऐतबार रखना,
दिल में न कोई सवाल रखना !!
दूर होकर भी देना चाहते हो मुझे खुशी,
तो हरपल अपना ख्याल रखना !!
दिल की गहराइयों में बसा है तेरा ख्याल,
तेरी मोहब्बत के लिए जलता है यह दिल।
पर क्या करें अब, तू तो चली गई,
हम तेरे बिना अकेले ही जीते हैं हम।
वो बेवफा हमारा इम्तिहां क्या लेगी,
जब मिलेगी तो नजर झुका लेगी,
उसे मेरी कबर पर दीया जलाने को मत कहना
नादान है अपना हाथ जला लेगी.
मेरा साया भी मुझसे जुदा मिला,
सोचा तो हर किसी से मेरा सिलसिला मिला
शहर-ए-बेवफा में किसे इश्क़-ए-वफ़ा कहें
हमसे गले मिले वो भी बेवफ़ा मिला.
मोहब्बत ने आज हमको रुला दिया
जिस पर मरते थे उसने ही भुला दिया
उसकी याद भुलाने के लिए आँसू पीता गया
एक दिन बेवफा ने उसमे भी ज़हर मिला दिया.
तेरी यादों का जख्म अब तक नहीं भरा,
दिल में छुपी दर्द की वजह तू ही थी।
तुझसे मोहब्बत की थी वो जिन्दगी मेरी,
पर तूने मेरे दिल की धड़कन तोड़ दी।
चमन में जो भी थे नाफ़िज़ उसूल उसके थे,
तमाम कांटे हमारे थे और फूल उसके थे,
मैं इल्तेज़ा भी करता तो किस तरह करता,
शहर में फैसले सबको कबूल उसके थे।
आप आँखों से दूर दिल के करीब थे,
हम आपके और आप हमारे नसीब थे,
न हम मिल सके, न जुदा हुवे……,
रिश्ते हम दोनों के कितने अजीब थे.
अब तू मेरे दिल में नहीं, फिर भी तू है यादों में,
तेरे बिना जीने की ज़िन्दगी भी बेख़बर हो गई।
बेवफ़ाई की तेरी आख़िरी अदाओं में भी,
मैंने तेरा इंतज़ार किया था ये ख्वाब तो जारी रहा।
तेरी आँखों की दीप्ति में खो जाऊँ,
तेरे ख्यालों में ही खो जाऊँ।
तेरी हँसी की मिठास में बिगड़ जाऊँ,
तुझे अपनी जिन्दगी में बसा लूँ।
मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं,
हैं मौसम की तरह लोग… बदल जाते हैं,
हम अभी तक हैं गिरफ्तार-ए-मोहब्बत यारों,
ठोकरें खा के सुना था कि संभल जाते हैं।
एक नजर भी देखना गंवारा नहीं उसे,
जरा सा भी एहसास हमारा नहीं उसे,
वो साहिल से देखते रहे डूबना हमारा,
हम भी खुद्दार थे पुकारा नहीं उसे।
बरसों गुजर गए हमने रोकर नहीं देखा,
आँखों में नींद थी मगर सोकर नहीं देखा,
वो क्या जाने दर्द-ए-मोहब्बत क्या है,
जिसने कभी किसी का होकर नहीं देखा।
ज़िंदगी सिर्फ इसी धुन में गुजारे जायें,
बस तेरा नाम, तेरा नाम पुकारे जायें,
जब ये तय है कि यहाँ कोई नहीं आएगा,
किस की खातिर दर-ओ-दीवार सँवारे जायें।
खोया इतना कुछ कि हमें पाना न आया,
प्यार कर तो लिया पर जताना न आया,
आ गए तुम इस दिल में पहली नज़र में,
बस हमें आपके दिल में समाना ना आया।
अब तक मेरे दिल की धडकन में तू बसी है,
तूने बिना किसी वजह के मुझे तोड़ दिया।
दिल की गहराइयों में बसे थे वो ख्याल तेरे,
तूने बेवफ़ाई का सच सामने ला दिया।
पत्थर समझ कर पाँव से ठोकर लगा दी,
अफसोस तेरी आँख ने परखा नहीं मुझे,
क्या क्या उमीदें बांध कर आया था सामने,
उसने तो आँख भर के भी देखा नहीं मुझे।
ख्वाब था बिखर गया ख्याल था मिला नहीं,
मगर ये दिल को क्या हुआ ये क्यूँ बुझा पता नहीं,
तमाम दिन उदास दिन तमाम शब् उदासियाँ,
किसी से कोई बिछड़ गया जैसे कुछ बचा नहीं।
सपनों से दिल लगाने की आदत नहीं रही,
हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,
ये सोच के कि कोई मनाने नहीं आएगा,
हम को रूठ जाने की आदत नहीं रही।
बहुत खामोशी से गुजरी जा रही है जिन्दगी,
ना खुशियों की रौनक ना गमों का कोई शोर,
आहिस्ता ही सही पर कट जायेगा ये सफ़र,
ना आयेगा दिल में उसके सिवा कोई और।
जुस्तजू खोये हुए की उम्र भर करते रहे,
चाँद के हमराह हम हर शब सफ़र करते रहे,
रास्तों का इल्म था न हमको सिम्तों की खबर,
शहर-ए-नामालूम की चाहत मगर करते रहे।
मुद्दत से जिसके वास्ते दिल बेकरार था,
वो लौट के ना आया जिसका इंतजार था,
मंजिल करीब आई तो वो दूर हो गया,
इतना तो बता जाता कि ये कैसा प्यार था।
इस दिल को किसी की आहट की आस रहती है,
निगाह को किसी सूरत की तलाश रहती है,
तेरे बिना जिन्दगी में कोई कमी तो नही,
फिर भी तेरे बिना जिन्दगी उदास रहती है।