Romantic Ghazal Hindi | रोमांटिक ग़ज़ल इन हिन्दी | Romantic Ghazal in Hindi | प्यार भरे ग़जल इन हिन्दी | Heart Touching Sad Ghazal Hindi | Love Ghazal in Hindi | रोमांटिक ग़ज़ल हिन्दी में.

Romantic Ghazal In Hindi

रोमांटिक ग़ज़ल – मुझकों सताने वाले..

मुझकों सताने वाले तूझको क्या दुवा दू
दिल चाहता है मेरा मैं भी तुझको अब भुला दू
रुलाया है दूर रहकर मुझकों खून के आँसू
दिल चाहता है मेरा मैं भी तुझे रुला दू

मुझको सताने वाले……।

तड़पा हूँ कैसे कभी बिस्तर की सलवटों से पूछो
कई बार ये कहा था तुम मेरे हो मुझसे तुम न रूठो
कर दूं खुद को मौत के हवाले या फिर कोई और सजा दू

मुझको सताने वाले……।।

कैसे तुझे बताऊ ऐ राज एक एक पल तुम बिन कैसे गुजारा है
हो तन्हाई या फिर बज रही हो शहनाई मैंने तुमको पुकारा है
तुम जान हो मेरी ये तुम भी जानते हो सोचा फिर भी तुझे बता दूं

मुझको सताने वाले……..।।।

 

Romantic Ghazal in Hindi

रोमांटिक ग़ज़ल – बात क्या है उन्हें..

बात क्या है उन्हें तो पता ही नही
कत्ल पर क़त्ल करते रहे और बोले मेरी कोई खता ही नही

बात क्या है उन्हें……।

मुस्कुरा कर उन्होंने कई गांव लुटा
पूछने पर वो बोले इसमें मेरी कोई अदा ही नही

बात क्या है……।।

अपनो के सीने में खंजर हमेशा चुभोते रहे
पूछने पर वो बोले ऐ राज इसमें कोई दगा ही नही

बात क्या है…..।।।

डर दिखाया सभी ने तो हँसने लगे
बोले मुझको सूली चढ़ा दो वो भी मेरे लिए कोई सजा ही नही

बात क्या है उन्हें…… ।।।।

 

Romantic Ghazal Hindi

रोमांटिक ग़ज़ल – चाहकर के तुझे मैं भूल…

चाहकर के तुझे मैं भूल पाता नही
तू मेरे दिल से क्यू जाता नही

चाहकर के ……..।

कई बार मैंने दिल की दुहाई दी थी
मैं बेवफ़ा हूँ इस बात पर भी सफाई दी थी
तेरे सिवा कोई मेरे दिल को भाता नही

चाहकर के तुझे……।।

मैं भूल जाऊ तुझे तू मुझे ऐसी बद्दुआ दे दे
घुट जाये दम मेरा तू कोई ऐसी हवा दे दे
तड़पायेगा ऐसे जो होता पता तो दिल लगाता नही

चाहकर के तुझे……।।।

या फिर लौट आ ऐ राज आकर मुझे प्यार कर
बड़ी शिद्दत से मिला हूँ तुझे न इनकार कर
मंजिल मेरी तू है मगर राह कोई दिखाता नही

चाहकर के भी…….।।।।

 

Heart Touching Sad Ghazal Hindi

रोमांटिक ग़ज़ल – हमने पहरे पर पहरा…

हमने पहरे पर पहरा लगा कर के देखा
हमने घर पे अपने बुला कर के देखा
न वो आये न खबर आयी उनकी
हमनें महफ़िल भी सजा कर के देखा

हमने पहरे…..।

कैसे अपनी मोहब्बत को अंजाम दू
मेरे दिल को आता नही कुछ और कौन सा काम दू
कई बार खुद को हमने बावफ़ा बताकर के देखा

हमने पहरे पर……।।

मैं तड़पता रहा उनको आवाज देता रहा
वो था दर्द से वाकिफ फिर भी हँसता रहा
मैंने अपने दिल के टुकड़े दिखाकर के देखा

हमने पहरे पे ……।।।

ऐ राज अपना सही तू पता दे दे
जो मुझसे हुई है वो सारी मेरी खता दे दे
हर किसी को उनको अपना बताकर के देखा

हमनें पहरे पे…….।।।

 

Romantic Ghazal in Hindi

रोमांटिक ग़ज़ल – सोचा था उसका ….

सोचा था उसका हाथ होगा मेरे हाथों में
कट जाएगी ये रात भी बातो बातो में।
न उसका हाथ मिला न उसका साथ मिला।
हाथ हिलाकर चला गया वो बातो बातो में।

सोचा था उसका….।

मैं हो गया हूँ गुमसुम सा आँखे पथरा सी गयी
जब जाना ही था तो अचानक सामने क्यों आ ही गयी
खेलता रह गया अकेले मैं अपने जज्बातों से।

सोचा था उसका…..।।

रात भी है काली सी अंधियारा भी है घना घना
सोचता हूँ कि मेरे लिए शायद कोई है नही बना
कोई फायदा ही नही मिला रखने का गुलाब उसकी किताबों में।

सोचा था उसका…..।।।

हमने उम्मीद से ज्यादा कभी कहाँ कुछ मांगा था
जिसको लोगों ने कहा मेरा उसे ही अपना माना था
बड़ी पूजा की थी ऐ राज नव दिन ब्रत भी रखा था नवरात्रों में।

सोचा था उसका हाथ…..।।।

 

Hindi Mein Romantic Ghazal

रोमांटिक ग़ज़ल – तू एक बार मेरा….

तू एक बार मेरा जो दिल से जो हो जाये
सब मेरे गम का पीना बेकार हो जाये
नशा तो तेरी आँखों का ऐ मेरी जान
ये नशा भी बदलकर प्यार बेसुमार हो जाये

तू एक बार…..।

मोहब्बत तुमसे क्या हुई सब बेकार लगता है
तू जब से मिली तुझमे ही संसार दिखता है
जी लू मैं जिंदगी अपनी अगर एक बार इकरार हो जाये

तू एक बार मेरा…..।।

किस किस की दुहाई मैं दू अपने प्यार के खातिर
एक बार आवाज दे रहूंगा हमेशा मैं हाजिर
मेरी तरह तू भी एकबार वफादार हो जाये

तू एक बार…..।।।

मेरी जिंदगी अब है तुमहारे हाथो में
मुझे मेरी जान दिखती है तेरी बातों में
मेरी जिंदगी मेंऐ राज बस तेरा आगाज हो जाये

तू एक बार….।।।।

Best Romantic Ghazal in Hindi

ज़िन्दगी के इम्तिहान से बहुत डर गया हूं मैं!
सुकून जब भी चाहा अपने घर गया हूं मैं..

कहते हैं साथी मिल जाते हैं राह-ए-मंज़िल में अक्सर!
मुझे तो कोई ना मिला उस राह जिधर गया हूं मैं..

सुकून से हूं बहुत तेरे जाने के बाद भी!
तुम्हें क्या लगा था बिखर गया हूं मैं..

मेरी खूबियों पर चर्चा करते सुना है मैंने लोगों को!
कुछ किया है मैंने या फिर मर गया हूं मैं..

हंस पड़ता हूं सुनकर बातें अपने खिलाफ भी!
दरिया-ए-समझदारी में इस हद तक उतर गया हूं मैं..

जान ली अपनी अहमियत मैंने ज़िन्दगी में तेरी!
की तेरे लिए बीते वक़्त की तरह गुज़र गया हूं मैं..

चाहतें अपने परिवार की कुछ यूं पूरी की मैंने!
अपनी साऱी ख्वाहिशों का क़त्ल कर गया हूं मैं….!!